घर की नीव कैसे बनाये | Ghar ki Neev kaise banaye

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घर की नीव (Foundation) दिखती नहीं है, लेकिन पूरी इमारत का वजन उठाती है, जब बात आपके घर के नीव की हो तो किसी तरह की गलती की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

वैसे तो आजकल घर बनाने के तरीके बहुत है, मगर हम यहाँ केवल 3 तरीको की ही बात करेंगे है, क्योकि हम उन लोगो के लिए काम करते है, जो कम खर्च में घर बनाना चाहते है, जो ठेकेदारों और लेबर से खुद काम करवाते है, और उनके पास इतने ज्यादा पैसे नहीं होते की वो इंजीनियर, को केवल सलाह देने के लिए पैसे दे सके।

अगर आपके पास इतने पैसे है, की आप घर बनाने के लिए Engineer को रख सकते है, तो उनको रखना ही ठीक रहेगा। क्योकि जो इंजीनियर आपके घर पे आता है, और परिस्थिति के साथ साथ आने वाली दिक्कतों को के हिसाब से देखता है और उसका हल परिस्थति के हिसाब से देता है। मगर जब आप खुद से घर बनाते है तो आपको खुद आने वाली दिक्कतों को समझना पड़ता है, और उसका हल अपनी परिस्थति के हिसाब से ढूँढना पड़ता है।

वैसे तो हम भी आपकी मदद करते है, मगर आपको हमारा फायदा भी तभी हो सकता है, जब आप हमारी लिखी बातो को ध्यान से पढ़े और समझे।

घर की नींव और घर की छत, ये दोनों घर का वो हिस्सा होता है, जहा कंजूसी और गलती करना, आपकी जिंदगी की सबसे खतरनाक गलती में से एक हो सकती है।

इसलिए हमने जो लिखा है उसे ध्यान से पढ़े और पूरा पढ़े, एक एक चीज हमने बिलकुल अच्छे से बताई है। ऐसा आपको कही नहीं मिलेगा चाहे आप बाद में ढूंढ के देख लेना, अभी आप आगे पढ़ने पे ध्यान दे।

जब आम लोग घर बनाते है, तो उनकी घर का ढांचा तीन तरीके से बना सकते है

1 ) भार उठाने वाला (Load Bearing Structure)
2 ) कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure)
3 ) मिला जुला ढांचा (Combined Structure)

घर बनाने के तरीको में ये तीनो तरीको का इस्तेमाल होता है, और अगर आप दो से तीन मंजिल तक घर बना रहे हैं, तो आप इनमे से किसी भी तरीके का चुनाव कर सकते है।

ढांच बनाने के तीनो तरीके की भार उठाने क्षमता और खर्चा अलग अलग होता है। और तीनो तरीको के हिसाब से घर की नीव भी अलग अलग डाली जाती है।

हमने कोशिश की है की कम से कम शब्दो में आपको बता पाए ताकि आप ध्यान से और पूरा पढ़े, आइये इन तरीको को समझते है। सबसे पहले हम पहले तरीके की करते है।


भार उठाने वाला (Load Bearing Structure)

ये सबसे सस्ता, पुराना और विश्वसनीय तरीका है, इस तरीके से आप दो से तीन मंजिल तक का घर तो बहुत आराम से बना सकते है।

इसमें कॉलम और बीम का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि इसमें पुरे घर का भार, नीव तक, दीवार की मदद से पहुंचाया जाता है, इसलिए इसे Wall Bearing Structure भी कहते है।

इसकी नीव में ईंटो की चुनाई करी जाती है, जिसको छत से दीवार, दीवार से लोड बेअरिंग फुटिंग तक होता है मिट्टी के ठीक ऊपर होती है।

वैसे तो हम आपको 3 मंजिल तक ही इस तरीके को इस्तेमाल करने के लिए बता रहे है मगर कई देशों में तो 14 मंजिलें भी सिर्फ चिनाई से ही बनाई गई हैं। वैसे तो ये भी काफी हद तक भूकंप रोधी होता है मगर अगर आप चाहते है की भूकंप के तेज झटको से भी आपका घर बचा रहे तो आपको बचना चाहते तेज बनाने के लिए आपको कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure) तरीका इस्तेमाल करना चाहिए।

जैसे हर बात का अपना फायदा होने के साथ साथ उसका नुकशान भी होता है, वैसे ही
लोड बेयरिंग का अपना फायदा और अपना नुकशान भी है

तो आइये जानते है फायदे क्या क्या है

भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) के फायदे

  • भारी लोड संभालने की क्षमता : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में भार और दबाव को संभालने की क्षमता होती है।
  • कम खर्च में बना सकते है घर : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर से घर बनवाने के लिए सरिया, कंक्रीट, सीमेंट जैसे सामान की ज्यादा की जरुरत नहीं होती है। इसलिए, इसलिए घर बनवाने में खर्च कम होता है, जिससे सामान्य और छोटे बजट में आसानी से घर बना सकते है। ये तरीका सस्ता होने के साथ साथ विश्वसनीय है इस तरीके से हजारो साल से घर बनाये जाते है और अभी भी जिनको बहुमजिली ईमारत नहीं बनानी होती वो इस तरीके का इस्तेमाल करते है।
  • तेजी से होता है निर्माण का काम : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर के अंदर निर्माण का काम तेजी से पूरा किया जा सकता है, क्योकि इस तरीके में न पिलर होते है न कॉलम इसलिए सूखने का इन्तजार नहीं करना पड़ता है और निर्माण का काम तेजी से पूरी होता है।
  • बिना मशीनो के करा जा सकता है काम : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर आप बिना किसी मशीन के घर बना सकता है। और अगर आप मशीनो का इस्तेमाल करते है तो तेजी से काम को किया जा सकता है मगर मशीनो की कमी से आपका काम नहीं रुकता है।
  • इमारतों में सजावट की विकल्प : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर से इमारतों के अंदर साज सजावट के लिए भी अलग-अलग विकल्प उपलब्ध होते हैं। यह घर बनवाने वाले के ऊपर निर्भर करता है आप अपनी पसंद के हिसाब से इमारतों को सजा सकते है में मदद करता है।
  • लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर की मरम्मत होती है कम : लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर की मरम्मत करना आसान होने के साथ साथ कम लागत में ठीक किया जा सकता है।

भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) के नुकशान

  • अगर दीवार की ईंटो को कोई नौसिखिया मिस्त्री करता है जिसको ठीक से ईंट की जुड़ाई करनी नहीं आती तो वो घर को मिलने वाली की मजबूती को कम कर रहा है। (यदि यह सही ढंग से नहीं किया गया है।)
  • तेज भूकंप आने पे दीवारों में दरार आ सकती है और बहुत तेज भूकंप से पुरानी हो चुकी ईमारत के गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
  • लोड बेयरिंग सिस्टम में बीम और कॉलम नहीं होते हैं। इसलिए पहले दीवारें बनानी होंगी और में दीवारें मोटी होती हैं।
  • भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) से निर्माण करने के लिए ज्यादा खुदाई करनी पड़ती है।
  • ज्यादा मिस्त्री और लेबर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है निर्माण की गति कम है।
  • दीवार की मोटाई पूरे समय एक जैसी नहीं रखी जा सकती। दीवार की मोटाई ऊंचाई बढ़ने के साथ बढ़ती है। इसलिए सभी मंजिलों में मिलने वाली जगह अलग होती है।
  • जमीन कमजोर होने पर नींव की गहराई 1.5 मीटर से ज्यादा करनी पड़ सकती है, और कभी-कभी आरसीसी फ़्रेमयुक्त संरचना की मुकाबले में महंगा हो सकता है।
  • लिफ्ट जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता है। (मगर लिफ्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है)

अगर आप इससे ज्यादा भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) के बारे में जानना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे


कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure)

इस तरीके को आजकल का तरीका भी कहा जाता है अगर आप 3 मंजिल से ज्यादा मंजिलो का घर बनाना चाहते है तो, ये तरीका आपके काम का है, इसमें भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) से ज्यादा मजबूती होती है मगर ये थोड़ा महंगा होता है, और इस तरीके में मशीनों का इस्तेमाल भी होता है तो इसका इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब पक्का पता हो की आपको 3 मंजिल या उससे ज्यादा बनानी है।

अगर आप दो मंजिल ही बनाना चाहते है तो भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) तरीका आपके लिए बढ़िया रहेगा।

कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure) में घर के चारो तरफ बीम, कॉलम और स्लैब/लेंटर (Slab, Lenter) की मदद से नीव तक ले जाया जाता है और कई लोग इसे Beam Column Structure भी कहते है। इस तरीके से किसी भी ऊंचाई की बहुमंजिला और बड़ी इमारतों का निर्माण किया जा सकता है।

कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure) के फायदे

  • कॉलम और की मदद से ही लिफ्ट जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करना सुरक्षित हुआ है।
  • दीवारों के ऊपर दीवार बनाने की जरुरत नहीं पड़ती है इसलिए आप हर मंजिल पर अलग तरह का निर्माण कर सकते है। इसलिए डिज़ाइन के लिहाज से ये लचीला माना जाता है, क्योंकि इस तरीके में आप दीवारों को कहीं भी ले जाया जा सकता है।
  • कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure) बनने के बाद हर मंजिल पे एक साथ काम किया जा सकता है जिससे काम को बहुत तेजी से ख़त्म किया जा सकता है।
  • सभी दीवारें पतली बनायीं जा सकती हैं।

कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure) के नुकशान

  • ये एक महंगा तरीका है क्योकि इसमें सीमेंट और स्टील की खपत ज्यादा होती है। और साथ ही मशीन का इस्तेमाल बढ़ जाता है, जिससे खर्च बढ़ता है।
  • इस तरीके में मेहनत कम लगती है मगर, कुशल कारीगर की जरुरत होता है, और कुशल कारीगर मिलना एक मुसीबत है।
  • मरम्मत के काम में बहुत मेहनत लगने के साथ साथ पैसा भी बहुत लगता है।
  • अगर काम को सही तरीके से नहीं किया जाए तो इसका जीवन कम हो जाता है।

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मिला जुला ढांचा (Combined Structure)

जैसा की इसके नाम से ही हम समझ सकते है की इस तरीके इस्तेमाल और जरुरत के आधार पर बनाया जाता है,
इसमें भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) तरीके को उन्नत कर दिया जाता है जो दिक्कते भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) तरीके में होती है उनको कम करने के लिए कुछ ख़ास तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्लिंथ बीम, लिंटल, लिंटल बीम, और जरुरत के हिसाब से कुछ जगहों पे कॉलम या बीम का इस्तेमाल किया जाता है जिससे भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) के अंदर जो कमी है उनसे आसानी से बचा जा सकता है। इस ख़ास तरीके को वही अपना सकता है जिसके पास पहले से घर बनाने का अनुभव है। और ऐसा कर के वो बहुत से पैसे बचा लेते है।

एक लाइन में इसको समझाने के लिए बोली जाए तो वो होगी “जैसी जरुरत, वैसा काम”

इस तरीके से भी आप अपना घर बना सकते है मगर इसके लिए आपको पहले दोनों तरीको को बहुत ध्यान से पढ़ना पड़ेगा और थोड़ा अनुभव भी होना चाहिए।

अगर आपके पास अनुभव की कमी है तो आप इस तरीके में नुकशान उठा सकते है। चलिए अब बात करते है अपने असली मुद्दे पर घर की नीव बनाने का तरीका


घर की नीव बनाने का तरीका

अभी तक आप समझ तो गए होंगे की आपको पूरा और ध्यान से पढ़ना पड़ेगा।

घर की नींव निर्माण एक बड़ा परियोजना हो सकती है, जिसमें अनुकूलता, सुरक्षा और स्थायित्व का ध्यान रखना आवश्यक होता है। सही तरीके से नींव का निर्माण न केवल घर के बाकी हिस्सों के लिए आवश्यक है, बल्कि यह घर के अगले निर्माणीय प्रक्रियाओं के लिए भी मौलिक आधार प्रदान करती है। नींव निर्माण में त्रुटि और धीमी गति से काम करने के बजाय, सही योजना, उपकरण, और पेशेवर निर्माण टीम का सहायता लेते हुए इसे विधिवत और सफलतापूर्व ढंग से पूरा करना उचित होता है।

कदम 1: अच्छी जमीन ढूंढना और उसकी जाँच करना

एक अच्छे घर की नींव का निर्माण शुरू होता है, अच्छी जमीन के चुनाव से, जब जमीन चुनने के लिए, कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरुरी है:

  • खरीदी गयी जमीन समतल यानि बराबर है या नहीं?
  • जमीन में ढलान है या नहीं ?
  • जमीन की दिशा और निर्माण और पीने के लिए साफ़ पानी की उपलब्धता है या नहीं?
  • जिस जगह आपने जमीन ली है, वहाँ पे होने वाले निर्माण से जुड़े नियमों का पता करना और का उन नियमो का पालन करने के लिए जिन जिन लोगो से संपर्क करने की जरुरत है ये पता करना?

अगर जरुरत पड़ती है, तो जमीन की योजना (Plan) बनाने के लिए भू-विश्लेषक या जरूरत के हिसाब से लोगो को ढूँढना जो आपको सही जमीन का चुनाव करना और नींव के लिए सही योजना तैयार करने में मदद कर सकते हैं।

कदम 2: नक्शा बनवाना या बनाना और जिस नियमो या अनुमतियों की जरुरत है उनको लेना

अच्छी जमीन का चुनाव करने के बाद, अगला कदम आपकी जरूरतों को पूरा करने वाला एक नक्शा बनाना है। नक्शा में नींव की आकृति, आयाम, ऊँचाई, और दूसरे जरुरी जानकारियाँ होती हैं। इसके अलावा नींव की योजना के साथ साथ उसके आसपास के जगह की पूरी जानकारी को शामिल कर सकते है।

एक पेशेवर निर्माण इंजीनियर(Civil Engineer) के साथ संपर्क करें और नक्शा बनाने के लिए उनकी सलाह लें। वे आपको सही और पक्का नक्शा तैयार करने में आपकी मदद करेंगे।

कदम 3: निर्माण के लिए अच्छी टीम चुनाव करना

निर्माण के लिए अच्छी टीम चुनाव करना बहुत जरुरी कदम है। यह टीम निर्माण से जुड़े मुद्दों, सुरक्षा नियमों, और नींव निर्माण की जानकारी के साथ साथ अनुभव भी रखती है। निर्माण टीम से जुड़े कुछ विशेषज्ञ लोगो निम्नलिखित है :

  • Construction Engineer (निर्माण अभियंता): नक्शा योजना और नींव निर्माण के लिए योजना बनाने वाला अभियंता।
  • Geo Analyst (भू-विश्लेषक): अच्छी जमीन का चुनाव करने वाला और जमीन की संरचना और पानी की निकासी (ड्रेनेज व्यवस्था) की जाँच करने वाला व्यक्ति।
  • Labour (मजदूर): नींव का निर्माण करने वाले मजदूर या श्रमिक या कामगार।
  • Geo-Date Analyst(भू-मिति विश्लेषक): भूमि के माप और आयाम निर्धारित करने वाला व्यक्ति।
  • Architect (अर्किटेक्ट): घर की नींव के डिज़ाइन को बनाने और योजना बनाने वाला व्यक्ति।
  • Building Manager (निर्माण प्रबंधक): नींव निर्माण की प्रक्रिया के निर्देशन और प्रबंधन करने वाला व्यक्ति।

कदम 4: नींव निर्माण के लिए अनुमतियाँ

नक्शा बनाने के बाद और निर्माण टीम का चुनाव होने के बाद, आपको नींव निर्माण के लिए उचित अनुमतियाँ लेनी होगी। अनुमतियों में नक्शा योजना, भूमि का मालिकाना हक, भू-मिति अनुमति, निर्माण की अनुमति और अन्य अनुमतियाँ शामिल हो सकती हैं।

अपने पास के स्थानीय परिषद या निर्माण विभाग से संपर्क करें और नींव निर्माण के लिए जरुरी अनुमतियों के लिए आवेदन करें। अनुमतियों को मिलने में कुछ समय लग सकता है, इसलिए आप एक काम को पहले ही करे बिना अपना समय गवाए और अपने नींव को बनवाने से पहले इन अनुमतियों को प्राप्त करें।

कदम 5: नींव बनाने से पहले की तैयारी

नींव को बनवाने के लिए शुरुआती तैयारी के से पहले, आपको यह पक्का करना होगा कि सभी सरकारी अनुमतियाँ आपको मिल चुकी हैं और नींव को बनवाने के लिए सारा सामान, मशीनो और सुरक्षा के उपायों को इक्कठा करे और फिर नक्शा के हिसाब से, खुदाई करवाना शुरू करने से पहले, जमीन पर सफ़ेद चूने से निशान लगवाए जिससे खुदाई का काम आराम से हो सकता है।

जितनी गहराई योजना के हिसाब से तय की गयी है उतनी गहराई में गड्ढा खुदवाये और उसके हिसाब से नीव खुदवाना शुरू करवाए।

कदम 6: नींव बनाने का काम शुरू करे

नींव निर्माण के लिए सभी तैयारी पूरी होने के बाद, आप नींव बनवाना शुरू कर सकते हैं। आपने जो योजना बनवायी है उसके हिसाब से नीव के काम को आगे बढ़वाये।

इस दौरान, यह पक्का करे कि सभी नियमों और मानकों का पालन किया जाए और अगर हो सके तो विशेषज्ञ टीम जो आपको निर्माण के समय आपकी मदद कर रही है वो खुद हो या उसके द्वारा दिए गए हिदायतों का भी पालन करे और ये भी देखते रहे की आपका सभी काम को समय पर और सही तरीके से पूरा हो रहा है या नहीं।

कदम 7: नींव निर्माण का ख़त्म करे

नींव बनाने के बाद आपको बनाई हुई नींव की जाँच करनी चाहिए। और साथ में तराई करना न भूले

तराई कैसे करते है ये जानने के लिए हमारी पोस्ट 5 मिनट में पढ़े और अपनी जानकारी से अपने पैसे बचाए
तराई(Tarai) | Water Curing | Curing of Concrete

तराई करते समय एक चीज और अपने दिमाग में रखे, ये आखिरी मौका है नीव को बारीकी से देखने का और अगर कोई गलती हो गयी है तो उसे सुधारने का इसलिए तराई करते समय बारीकी से ध्यान दे और अगर कोई कमी दिखे तो उसे तुरंत सुधारें।


निष्कर्ष

घर की नींव को बनाने का समझदारी और अनुभवी का काम है। और इसके साथ ये भी जरुरी है की सही जमीन का चुनाव करना, समय पर नक्शा बनाना, निर्माण के लिए अनुभवी और विशेषज्ञ टीम का चुनाव करना, और सभी नियमों और अनुमतियों का पालन करना।

एक अच्छी नींव ही निर्माण की सफलता की कुंजी है। इस काम को धीरे-धीरे और ध्यान से काम करें और सही समय देकर जल्दीबाजी न कर के नींव बनवाने का काम करें, ताकि आपका नया घर सुरक्षित, स्थायी और सुंदर हो सके।

अगर आपको हमारी तरफ से दी गयी जानकारी अच्छी लगी तो आप अपने दोस्तों के साथ भी हमारी पोस्ट को शेयर करे और अगर आपके कुछ सवाल है तो कमेंट करे।


नीव बनाने से जुड़े सवाल और उनके जवाब

क्या हमें नीव खोदने से पहले भी कुछ जानना चाहिए ?

बिलकुल, नीव के लिए खुदाई, करने के लिए भी, आपको जानकारी होनी ही चाहिए, नहीं तो आप ये कैसे पता लगा सकते है। कितनी खुदाई करनी है और कहा तक करनी है।
अगर आप नीव की खुदाई के बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
नीव की खुदाई के बारे में सब कुछ | Excavation Work in Hindi

क्या नीव भी ख़राब होती है?

हर वो चीज जिसे इंसान ने बनाया है वो ख़राब होती है। ऐसे ही नीव भी ख़राब होती है, मगर नीव का ख़राब होना इस बात पर निर्भर करता है की उसे बनाया कैसे गया है क्या उसे बनाने के बाद उस पर वाटरप्रोफ्फिंग (Water Proofing) करी गयी है या नहीं वो प्राकृतिक आपदाओं से कितनी सुरक्षित है।

अगर आप नीव के ख़राब होने के कारण और उपायों के बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
नींव के खराब होने के कारण और उपाय | Cause Of Failure Of Foundation And Its Remedies

क्या RCC Framed Structure से भी नीव को फर्क पड़ता है?

हाँ क्योकि नीव बनाने के लिए ये जानना बहुत जरुरी है की आप किस तरह के तरीके का घर बनाना चाहते है।

INDIA में ज्यादातर तीन तरह से घरो को बनाया जाता है।
1 ) भार उठाने वाला (Load Bearing Structure)
2 ) कंक्रीट के फ्रेम वाला (RCC Frame Bearing Structure)
3 ) मिला जुला ढांचा (Combined Structure)

हर तरीके में नीव को बनाने तरीका अलग होता है।

अगर आप RCC Framed Structure | Frame Bearing Structure के बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
RCC Framed Structure | Frame Bearing Structure in Hindi

क्या मजबूत नीव डालने के बाद भी प्लिंथ बीम डालने की जरुरत होती है ?

बिलकुल क्योकि आप अपने घर को जितनी मजबूती देंगे उतने ज्यादा दिनों तक वो बना रहेगा और उसका रख रखाव को रखने में भी आपको कम से कम खर्च करने पड़ेंगे। इसलिए अगर आप मजबूत नीव बनाने के बाद भी प्लिंथ बीम डालनेगे तो आपका ही घर मजबूत बनेगा।

अगर आप प्लिंथ बीम के बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
प्लिंथ बीम कैसे डालते है | Plinth Beam

क्या लोड बेअरिंग स्ट्रक्चर ने लिए नीव ज्यादा गहरी खोदनी पड़ती है?

अगर कम शब्दों में आपको बताया जाए तो ये बात कई बातो पे निर्भर करता है, जैसे
– जमीन कैसी है?
– कितना बड़ा घर आप बनाना चाहते है?
– कितने मंजिल का घर आप बना रहे है?
ये जानने के लिए आपको थोड़ा पढ़ना होगा और पढ़ने से आपको ज्ञान तो मिलेगा ही साथ ही साथ आपके पैसे भी बचेंगे।

अगर आप लोड बेअरिंग स्ट्रक्चर के बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
लोड बेअरिंग स्ट्रक्चर क्या होता है | Load Bearing Structure in Hindi

क्या नीव डालने के लिए हमें जमीन खोद के चेक करना चाहिए?

हाँ जी आपको जमीन खोदने के बाद ही समझ आएगा की जहा आप घर बनाने जा रहे है वह की मिट्टी नरम तो नहीं है। कही खुदाई के बाद कचरा तो नहीं निकल रहा है कोई पाइप तो नहीं है। किसी पेड़ की जड़ तो नहीं है जो बाद में आपकी घर की नीव को ख़राब करे।

अगर आप इस बारे में ज्यादा जानना चाहते है, तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के 5 मिनट में काफी कुछ सीख सकते है।
जमीन खोद कर भी चेक करना चाहिए ??

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