RCC Framed Structure | Frame Bearing Structure in Hindi

आइये समझते है RCC फ्रेम बेअरिंग स्ट्रक्चर यानि कंक्रीट फ्रेम वाले ढांचे के बारे में सब कुछ, और साथ ही इसके फायदे और नुकशान क्या होते है।

इस तरीके को आजकल का तरीका कहना गलत नहीं होगा, अगर आप 3 मंजिल या उससे ज्यादा मंजिल का घर बनाना चाहते है, तो ये तरीका आपके काम का है, ये थोड़ा महंगा होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब पक्का पता हो की आपको 3 मंजिल या उससे ज्यादा ऊंचा घर बनाना है। अगर आप दो मंजिल ही बनाना चाहते है तो भार उठाने वाला (Load Bearing Structure) तरीका आपके लिए बढ़िया रहेगा। क्योकि पैसे पेड़ पे नहीं लगते है।

आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर(RCC Framed Structure) में घर का वजन को चारो तरफ बीम, कॉलम और स्लैब/लेंटर (Slab, Lenter) की मदद से नीव(Foundation) तक ले पहुंचाया जाता है, और कई लोग इसे Beam Column Structure भी कहते है। इस तरीके से कितनी भी ऊंचाई वाली बड़ी इमारतों को बनाया जा सकता है।

आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर(RCC Framed Structure) भूकंपरोधी होने के साथ साथ इसमें भार उठाने की क्षमता भी जबरदस्त होती है।

इसको बनवाने के लिए आपको Structure Engineer और Civil Engineer की जरुरत होती है। वैसे तो आजकल देखा जा रहा है, की लोग इसे कुछ अनुभवी ठेकेदारों की मदद से बनवा लेते है, मगर ऐसा करना छोटे निर्माण के लिए तो ठीक है, मगर जब आप कुछ बड़ा निर्माण करने जा रहे हो तो Structure Engineer और Civil Engineer की मदद जरूर लेनी चाहिए।

आपको इसे समझना इसलिए भी जरुरी है, क्योकि आपको पता होना चाहिए, की जिसे आपने अपने काम के लिए रखा है, वो ठीक से काम भी कर रहे है या नहीं। कही वो आपके कम ज्ञान का फायदा तो नहीं उठा रहा है। कोई बात नहीं, आपके कम ज्ञान को ज्यादा ज्ञान में बदलने का काम हमारा है। चलिए शुरू करते है।

इसके लिए के लिए आपको आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर(RCC Framed Structure) के कुछ ख़ास हिस्सों को जानना पड़ेगा जैसे :-


आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) के ख़ास हिस्से

RCC Framed Structure

नींव(Foundation)

आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर(RCC Framed Structure) के लिए जब नीव खोदी जाती है, तो कुछ चीजे ध्यान रखने वाली होती है, और उसपे निर्भर करता है की, आगे का काम, कैसे किया जायेगा, नीव को तब तक खोदा जाता है जब तक सख्त मिट्टी न मिल जाए।

नीव की खुदाई के बारे में सब कुछ | Excavation Work in Hindi


पी.पी.(PCC)

यानि PCC समझे तो Plain Cement Concrete होता है.

इसे बनाने के लिए सीमेंट, रेत, रोड़ी और पानी की जरुरत होती है। इसके लिए हमें सरिये की जरुरत नहीं पड़ती है, ये कंक्रीट की 4 से 6 इंच मोटी सतह होती है, जिसके ऊपर आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर(RCC Framed Structure) की फुटिंग(Footing) को टिकाया जाता है। और अगर आप लोड बेअरिंग स्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर रहे है, तो भी PCC की सतह का बराबर और मजबूत होना जरुरी होता है। इसलिए नीव के लिए PPC सीमेंट का इस्तेमाल करना ही अच्छा रहता है।

**PCC डालने के बाद से अगले दिन से तराई का काम शुरू हो जाता है हो सके तो हर रोज तराई करनी चाहिए


फुटिंग (Footing)

फुटिंग कॉलम का सबसे शुरुवाती और जरुरी हिस्सा होता है ये कॉलम से काफी चौड़ा होता है और इसे कई तरीके बनाया जा सकता है। हम यहाँ फुटिंग के कुछ आकर(Design) के नाम आपको बताते है,

How to Cast Footing?
How to Cast Footing?

हम इसे तीन हिस्सों में देखते है

  • सेक्शन(Section)
  • फुटिंग (Footing)
  • कॉलम (Column)

सेक्शन एक लोहे का चौड़ा जाल होता है, जिसके ऊपर कंक्रीट डाली जाती है।
फुटिंग उस हिस्से को कहा जाता है जहा सेक्शन और फुटिंग मिलती है।
कॉलम पे सारा घर टिका होता है और ज्यादा जानने के लिए इसी पोस्ट में लिखे कॉलम को पढ़े।

फुटिंग का काम जमीन के अंदर कॉलम को धसने और ख़राब होने से बचाना है। फुटिंग (Footing) के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप पढ़ सकते है

फुटिंग (Footing) क्या होती है ? | What is Footing


कॉलम(Column)

कॉलम(Column) कंक्रीट का एक बहुत मजबूत निर्माण होता है, जिसका इस्तेमाल घर के सारे वजन को एक सामान तरीके से, जमीन के अंदर पहुंचने के लिए किया जाता है। ये बीम की मदद से घर के सारे वजन को एक सामान तरीके से जमीन के अंदर पंहुचा देता है। ये देखने में कई आकर का हो सकता है।

Type of Column
Type of Column

इसका चुनाव कई तरह से किया जा सकता है।

  • उसके आकार के हिसाब से
  • कितना वजन उठा सकता है
  • किस तरह के सामान से बनाया गया है

और भी चीजे है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए, कॉलम के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप हमारी पोस्ट पढ़ सकते है – “कॉलम कैसे बनते है


प्लिंथ बीम (Plinth Beam)

जब घर की नीव डाल दी जाती है, उसके बाद प्लिंथ बीम (Plinth Beam) डाली जाती है, इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि प्लिंथ बीम, नीव और दीवारों के बीच एक सुरक्षा देने वाली सबसे पहली बीम होती है, जिसका काम पुरे घर के वजन को किसी एक कॉलम पे न पड़ कर, सभी कॉलम पर एक बराबर पड़ता है, और कॉलम(Column) के सारे भार को सामान तरीके से जमीन पे फैला देते है। जिससे की आपका घर भूकंपरोधी हो जाता है।

अगर आपको जानना है इसके और फायदे और बनाते समय रखने वाली सावधानियों के बारे में जानना चाहते है तो हमारी पोस्ट जरूर पढ़े प्लिंथ बीम कैसे डालते है | Plinth Beam


डी.पी.सी (DPC) | Damp Proof Course

Damp यानि (नमी), Proof यानि (से बचाव) Course यानि (तरीका)

पूरा समझे तो नमी से बचाव का तरीका, DPC जमीन से आने वाली नमी को रोक देती है, और इसे डालने के लिए कुछ ख़ास नहीं करना पड़ता है। ये कंक्रीट का लगभग 2 या 2½ इंच मोटी सतह होती है, जिसके अंदर वाटरप्रूफ केमिकल को मिलाया जाता है।


लिंटल बीम(Lintel) या टाई बीम(Tie Beam)

Diffrence between Lintel Beam and Tie Beam
Diffrence between Lintel Beam and Tie Beam

वैसे तो ये दोनों अलग अलग होती है दोनों देखने में एक जैसे दिख सकते है, जबकि ये दोनों एक जैसे नहीं होते है, जब हम केवल खिड़की या दरवाजो के ऊपर बीम डालते है तो इसे लिंटल बीम कहते है और अगर हम इसी ऊंचाई पे खिड़की दरवाजो के साथ साथ सारे घर की दीवारों को भी बांध देते है तो इसे टाई बीम कहते है। ये घर को भूकंपरोधी बनती है, जबकि लिंटल बीम से केवल खिड़की दरवाजे ही सुरक्षित रहते है।

कुछ लोग घर बनवाते समय इनमे से कोई सी बीम नहीं डलवाते फिर कुछ दिनों के बाद जब उनकी खिड़की दरवाजे नहीं खुलते तो उन्हें पता चलता है की उनकी चौखट दीवार के वजन से झुकने लगी है तब उनको समझ आता है की उन्होंने क्या गलती करी थी।


बीम(Beam)

बीम का इस्तेमाल घर सारे वजन को कॉलम(Column) पे डालने का होता है। जिससे की घर वजन दीवारों पे न पड़के कॉलम के सहारे से जमीन में चला जाए

अगर आप एक अच्छी और मजबूत बीम डालना चाहते है तो आप हमारी पोस्ट “बीम डालने का तरीका” पढ़ सकते है।


छत (Slab/Lenter)

घर की छत घर का सबसे जरुरी हिस्सा होता है अगर इसको बनाने में आपने गलती कोई भी गलती करी तो वो गलती बहुत महंगी भी पड़ सकती है। कई घरो ये लिए तो ये आखरी गलती होती है।

इसे कई जगह पे अलग अलग नामो से जाना जाता है कही इसे छत कहते है तो कही स्लैब(Slab) तो कही लेंटर(Lenter)

अगर आप छत बनाने में कोई गलती नहीं करना चाहते है तो, हमारी पोस्ट को जरूर पढ़े इसमें हमने अपना 15 साल का अनुभव लिखा है इस पोस्ट को नजरअंदाज तभी करे जब आप छत बनाने के खिलाडी हो इससे पहले नहीं

घर की छत कैसे बनते है


छज्जा (Cantilever Beam)

छज्जा आपके घर की सुंदरता को तो बढ़ता ही है और साथ ही आपको एक अच्छी इस्तेमाल होने वाली जगह भी देता है। इसे बहुत सी जगह पे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे कैंटिलीवर स्लैब, कैंटिलीवर बीम, बालकनी, मचान, छतरिया।

ये आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) में इसलिए भी ख़ास है क्योकि इस तरीके में आप बड़ा छज्जा बना सकते है। जो आप और किसी तरीके में नहीं बनाना सकते है, अगर आपको घर के छज्जे के बारे में ज्यादा जानना है तो आप हमें कमेंट कर सकते है हम आपकी पूरी मदद करेंगे।


आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) के फायदे

  • इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है, जमीन कैसी भी हो नरम या सख्त, आप इस तरीके से घर बनाएंगे तो भविष्य में आपको कभी दिक्कत नहीं आएगी।
  • इसी खूबी की वजह से आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) को घर बनाने के लिए, सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • ये लोड बेअरिंग के जैसी नहीं होती, इसमें घर का सारा वजन दीवारे नहीं बल्कि कॉलम और बीम उठाते है जिसके वजह से दीवारे हर मंजिल पे एक जैसी मोटाई की हो सकती है। आप इसे 4 इंच भी रख सकते है। ऐसा करने की वजह से आपको ज्याद जगह मिल जाती है। जिसे कारपेट एरिया(Carpet Area) मिल जाती है। यहां दीवारें गोपनीयता, मौसम से सुरक्षा और सुरक्षा के लिए हैं।
  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) से आप भूकम्परोधी निर्माण कर सकते है।
  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) में कॉलम, बीम और स्लैब(छत) को पहले बनाया जाता है उसके बाद दीवारों को बनाया जाता है। इस वजह से काम तेजी से होता है, दीवारों को कभी भी बदला जा सकता है, हर मंजिल पे नक़्शे को बदला जा सकता है।
  • छत का सारा वजन कॉलम और बीम, पर होने की वजह से। बड़े आकार(Size) के कमरे आसानी से बनाये जा सकते है।
  • खुदाई अगर गहरी भी करनी पड़े तो, लागत में कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ता है।
  • बड़े छज्जे(कैंटिलीवर) आसानी से निकले जा सकते है।
  • यह डिजाइन में आसानी से बदलाव किये जा सकता है, क्योंकि दीवारों के ऊपर वजन न होने से उसे हटाया या बनाया जा सकता है। और हर मंजिल पे अलग नक्शा भी बनाया जा सकता है, क्योकि इस तरीके में दीवारों पर दीवारें बनाने की कोई जरुरत नहीं है।
  • कॉलम और बीम की मदद से ही लिफ्ट जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करना और भी सुरक्षित हो जाता है।
  • ज्यादातर, आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) में संरचना को पहले बनाया जाता है, बाहरी और अंदरूनी दीवारे बाद में बनायीं जाती है, इसलिए इसे तरीके से आप तेजी से घर बना सकते है।
  • दीवारों पे वजन न पड़ने की वजह से आप हल्की और सस्ती ईंटो का इस्तेमाल कर सकते है।
  • रखरखाव में लागत कम आती है, जिसे नजरअंदाज भी किया जा सकता है।

आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) के नुकशान

  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) में तोड़ फोड़, बदलाव करना, या इसे बाद में बढ़ाना मुश्किल है।
  • अगर आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) को सही तरीके से नहीं बनाया गया तो इसका जीवन कम हो जाता है, इसलिए इसे ध्यान से बनाना और बनवाना चाहिए।
  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) का डिज़ाइन इंजीनियर से बनवाने में भलाई होती है क्योकि वो कंप्यूटर की मदद से सारी चीजे देख लेता है की क्या बनाने वाला है।
  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) बनाने के लिए अच्छे कारीगरों और मिस्त्री की ही जरूरत होती है।
  • कंक्रीट बनाने में गलती होने से होने सिकुड़न और ज्यादा भार पड़ने की वजह से दरारें बन जाती है।
  • आरसीसी फ्रेम्ड स्ट्रक्चर (RCC Framed Structure) बनाने के लिए महंगी मशीन और ख़ास औजारों की जरुरत होती है।
  • इसमें सीमेंट और स्टील की खपत ज्यादा होती है।

फ्रेम बेअरिंग स्ट्रक्चर(Frame Bearing Structure) के लिए सावधानी

  • वैसे तो अगर आपने ऊपर लिखी सभी बातो को और दिए हुए लिंक पे क्लिक कर के हर पोस्ट को ध्यान से पढ़ा है, तो हमें नहीं लगता की आपको कोई दिक्कत हो सकती है मगर अगर ऐसा है तो जरूर बताये हो सकता है हमसे कही कोई कमी रह गयी हो हम आपकी पूरी मदद करेंगे इसलिए हमसे पूछना न भूले।

निष्कर्ष

ये थोड़ा महंगा होता जरूर होता है, मगर इस तकनीक से घर, भूकंप के तेज झटको को भी झेल लेता है, मगर ऐसा बिलकुल नहीं है की लोड बेअरिंग से बनाये घर भूकंप नहीं झेल पाते वो भी झेल सकते है मगर तेज झटको को नहीं, हमारे भारत में बहुत से ऐसी जगह जहा भूकंप आता तो है लेकिन ज्यादा तेजी से नहीं, इसलिए अगर आप 2 मंजिल का ही घर बनाना चाहते है, तो लोड बेअरिंग का इस्तेमाल करे और अगर 3 मंजिल से ऊपर बनाना चाहते है तो ये तरीका सबसे बढ़िया है।


फ्रेम बेअरिंग स्ट्रक्चर से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

RCC Frame में वजन कैसे उठता है।

इसके अंदर छत का वजन बीम, बीम का वजन कॉलम, और कॉलम का वजन फुटिंग उठती है, और फुटिंग मिट्टी के नीचे की धरती उठाती है।

DPC कितनी मोटी डालनी चाहिए ?

DPC – Damp Proof Course यानि दीवारों को पानी से बचने के लिए डाली जाती है।
इसको डालने के लिए PPC Cement का ही इस्तेमाल करे, और इसे कम से कम 1.5″ इंच और ज्यादा से ज्यादा 2″ इंच मोटा इसे डाला जाता है। यानि 40MM से 50 MM तक।

टाई बीम और प्लिंथ बीम में क्या फर्क है ?

प्लिंथ बीम नीव के बाद डाली जाती है जबकि टाई बीम को छत और प्लिंथ बीम के बीच कही भी डाला जा सकता है।

लिंटल बीम और टाई बीम में फर्क ?

लिंटल बीम – लिंटल बीम केवल उतनी दुरी में ही डाली जाती है, जितनी दुरी में खिड़कियों और दरवाजो की चौखट की चौड़ाई होती है। और लिंटल बीम की ऊंचाई खिड़कियों और दरवाजो की चौखट जहा ख़त्म होती है वह डाली जाती है। और इसका काम आपके खिड़कियों और दरवाजो की चौखट के ऊपर लगने वाली ईंटो के भार से बचाना होता है ताकि ये वजन की वजह से मुड़ या टेढ़ी न हो जाये।
टाई बीम – टाई बीम भी उतनी ही ऊंचाई पे डाली जाती है, जितनी ऊंचाई पे लिंटल बीम डाली जाती है मगर टाई बीम का काम पुरे घर की दीवारों को बांध के रखना होता है ताकि भूकंप के तेज झटको में दीवारों में दरार न आये। और साथ ही साथ ये लिंटल बीम का काम भी कर देती है।

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RudelTanti

RudelTanti

Thank you for free giving knowledge God bless you

Team Umageeta

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Thanks sir, You are the first who Appreciate our work will remember you as You are First sign of Happiness Please share us thats all we need

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