लाल ईंट या फ्लाई ऐश | Red Brick Vs Fly Ash Brick in Hindi

ये एक बड़ा मजेदार टॉपिक है, क्योकि ये एक जोरदार टक्कर है, पुराने समय से इस्तेमाल की जा रही लाल ईंट अच्छी है, या आधुनिक तरीके से सीमेंट से बनी ईंट जिसे फ्लाई ऐश ईंट कहते है।
आज हम आपकी सारी उलझन मिटा देंगे, बस आपको वही करना है, जो आप हमेशा करते है, ध्यान से पढ़ना और पूरा पढ़ना, कुछ देर ही तो लगती है, और आपको सब पता चल जाता है।

चलिए अब अपने सवाल पे आते है “घर बनाने के लिए कौन सी ईंट चुने लाल ईंट या फ्लाई ऐश ईंट?”

देखिये कोई कहता है लाल ईंट अच्छी है, कोई कहता है फ्लाई ऐश ईंट अच्छी है, तो क्या जो कहता है, वो गलत कहता है नहीं बस वो पूरी बात नहीं बताते और कारण नहीं बताते कौन सी ईंट का इस्तेमाल करे और क्यों करे तो आज हम एक एक चीज जानेंगे पहले समझते है ये ईंट बनती किस चीज़ से है।

कैसे बनती है ये ईंटे

फ्लाई ऐश (Fly Ash Brick)

फ्लाई ऐश की ईंटें सीमेंट, रेत, फ्लाई ऐश, चूना और जिप्सम से बनाई जाती हैं। इसमें तो सब जानी पहचानी चीज़े है बस ये फ्लाई ऐश समझ नहीं आ रही कोई बात नहीं हम बताते है आपको, ये बहुत महीन राख़ होती है, जो चिमिनी से निकलती है और हवा में मिल के हवा को ख़राब करती है, मगर इसकी कई खासियत भी होती है जैसे

  • फ्लाई ऐश कम सिकुड़ने वाली मानी जाती है, जिससे ईंट में दरार की समस्या कम होती है
  • चिकनी सतह मिलती है जो देखने में सुन्दर लगती है
  • दरार की समस्या कम करता है
  • बरसात के दिनों में होने वाली उमस को कम बनाने देती है
  • इस्तेमाल करते समय कम पानी की जरुरत पड़ती है
  • पूरी दुनिया की बड़ी समस्या CO2 को कम करता है

ये खासियत ईंट की नहीं फ्लाई ऐश की बताई है ईंट के बारे में अच्छे से जानने के लिए तो पूरी पोस्ट को पढ़नी ही पड़ेगी।

लाल ईंट

लाल ईंट तो सालो से बनती ही आ रही है इसके आपको पता ही होगा, अगर नहीं पता तो आप कमेंट कर देना आपको आप जवाब जल्द से जल्द मिलेगा ये हमारा वादा है। फिर भी एक लाइन तो बतानी बनती है जब टॉपिक तो लिखा है तो

लाल ईंटें प्राकृतिक मिट्टी जो चिकनी होती है और उपजाऊ होती है से बनती है, जिसका ज्यादा इस्तेमाल करने से किसानो के साथ साथ आपका भी नुकशान है क्योकि जितनी उपजाऊ मिट्टी कम होगी, उतनी फसल उगने के लिए जगह कम होगी।
इसका मतलब ये नहीं की इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसका मतलब है जितनी जरुरत उतना इस्तेमाल

इतनी बाते तो हो गयी अब तक की बात ठीक से समझ नहीं आयी तो आप दोबारा से पढ़ सकते है।

देखिये अब मार्किट में होता ऐसा है

जो लाल ईंट बेचता है वो उसे अच्छा कहता है और जो फ्लाई ऐश ईंट बेचता है, वो उसे अच्छा कहता है अब कोई अच्छा आदमी मिलता कहा है जो सही बात बताये सबको अपना फायदा देखना है।

कोई बात नहीं हम आपको बताते है, साथ में ये भी बताते है की इनमे फर्क क्या है ताकि हमारी बातो से आप निष्कर्ष निकल सकते है और जो फर्क हम लिखेंगे उसे पढ़ के आप खुद भी पता कर सकेंगे की क्या इस्तेमाल करना ठीक रहेगा

देखिये जो अभी तक हमने इस्तेमाल किया है और अपने अनुभव से सीखा है वो ये है की हर जगह फ्लाई ऐश ईंट आसानी से मिलती नहीं है मगर अगर आपको फ्लाई ऐश ईंट मिल जाए तो भी प्लिंथ बीम से नीचे आप बेझिझक लाल ईंट का इस्तेमाल करिये और अगर ईंट थोड़ी ज्यादा है तो DPC तक आप लाल ईंट का इस्तेमाल कर सकते है।
और समझदारी ये कहती है कि प्लिंथ बीम या DPC के बाद आप फ्लाई ऐश का ही इस्तेमाल करे वो आपको सस्ती भी पड़ेंगी और अच्छी भी रहेंगी और मजबूत भी। आइये अब जानते है

लाल ईंट और फ्लाई ऐश ईंट में फर्क

वजन में अंतर

फ्लाई ऐश की ईंट, वजन में लाल ईंट से हल्की होती है, जिससे अगर आप कई मंजिल की ईमारत बनाना चाहते है, तो भी बिल्डिंग का वजन उतना नहीं बढ़ता जितना लाल ईंट के इस्तेमाल से बढ़ जायेगा और ये किसी भी ईमारत के लिए अच्छी बात है।

जहा लाल ईंट का वजन लगभग 3.5 किलो तक होता है वही फ्लाई ऐश ईंट का वजन 2.5 किलो के करीब होता है।

कम लगता है प्लास्टर और मसाला(Mortar)

लाल ईंट कभी एक बराबर नहीं आती, जिसकी वजह से इसकी दीवार सीधी तो बनायीं जा सकती है, मगर जोड़ने में मसाला(Mortar) ज्यादा लगता है और दीवार को बराबर करने के लिए जो प्लास्टर लगता है वो भी ज्यादा लगता है, मगर फ्लाई ऐश की ईंट एक बराबर होती है, जिसकी वजह से इसको जोड़ने में मसाला भी कम लगता है और प्लास्टर में भी मसाला कम लगता है अगर आपको एक अंदाजा बताया जाए तो कम से कम 40% से ज्यादा की बचत होती है।

पानी सोखने की क्षमता

लाल ईंट 25% तक पानी को सोख सकती है जबकि फ्लाई ऐश ईंट 15% से ज्यादा पानी नहीं सोखती और अगर फ्लाई ऐश ईंट बनाने में PPC सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है तो वो पानी को रोकने का काम करने लगती है।

और अगर हम साधारण फ्लाई ऐश ईंट से भी अगर घर बनाये तो भी सीलन की समस्या को कम रखने में मदद करती है।

रेट में भी है फर्क

जहाँ एक लाल ईंट की कीमत क्वालिटी के हिसाब से 5 से 8 ₹ के बीच होती है, वही एक फ्लाई ऐश ईंट कि कीमत 4 से 6 ₹ के करीब होती है।

ईंट के साइज में होता है फर्क

लाल ईंट जहा एक ही साइज 3″ x 4″ x 9″ में आती है, वही फ्लाई ऐश कई साइज में आपको मिल जाती है इससे आप जरुरत के हिसाब से चुन सकते है जिससे काम में 40% तक की तेजी आती है, यानी जितनी मजदूरी(पैसो) में मिस्त्री एक दीवार बनाएगा उतनी मजदूरी(पैसो) में तो आप लगभग 2 दीवार बना सकते है।

फ्लाई ऐश ईंटो के साइज –

S.NoFly Ash Brick Size in inchFly Ash Brick Size in MM
13″ x 4″ x 9″75 x 100 x 225
26″ x 8″ x 16″150 x 200 x 400
36″ x 9″ x 12″150 x 230 x 300
46″ x 6″ x 12″150 x 150 x 300
516″ x 4″ x 8″400 x 100 x 200
616″ x 6″ x 8″400 x 150 x 200
716″ x 8″ x 8″400 x 200 x 200
Fly Ash Brick Size in inch | Fly Ash Brick Size in MM

किस्मे कम होती है बर्बादी

लाल ईंट से कम बर्बादी फ्लाई ऐश ईंट के इस्तेमाल से कम बर्बादी होती है और थोड़ा फर्क नहीं है जहा फ्लाई ऐश 2 से 5 % तक ही बर्बाद होता है वही लाल ईंट की बर्बादी 10% से ज्यादा बर्बादी होती है, दरअसल फ्लाई ऐश की बर्बादी कम होने के होने के दो कारण

  • पहला फ्लाई ऐश का जो साइज है वो एक जैसा और बराबर होता है, जिससे इस्तेमाल करते समय साइज की दिक्कत नहीं होती है और फ्लाई ऐश मजबूत होने की वजह से रखराखव के समय जल्दी नहीं टूटती जिससे बर्बादी कम से कम होती है।
  • दूसरा लाल ईंट को कुछ घटिया मिस्त्री हल्के में लेते है, और उसकी गैर-जरुरी बर्बादी भी करते है। ऐसा वो फ्लाई ऐश ईंट के साथ नहीं कर पाते, ये बात आपको अच्छे से तब समझ आएगी, जब आप किसी मिस्त्री को फ्लाई ऐश ईंट के साथ काम करते हुए देखेंगे।

पर्यावरण के लिए उपयोगी

जहा लाल ईंट के लिए जमीन के ऊपरी परत की मिटी जो उपजाऊ बनायीं जा सकती है उसका इस्तेमाल किया जाता है, वही फ्लाई ऐश ईंट के अंदर Thermal Power Plant से जो पहले धुए के साथ निकल वाली राख होती थी उसका इस्तेमाल किया जाता है जिससे हवा भी गन्दी होने से बचती है, और मिट्टी का इस्तेमाल भी कम हुआ है।

फ्लाई ऐश ईंट का इस्तेमाल करना न केवल समझदारी का काम नहीं, बल्कि खुद पर गर्व का भी विषय है, कम से कम आप देश और समाज में फ़ैल रही गंदगी का कारण नहीं बन रहे।

मगर प्लिंथ बीम के नीचे लाल ईंट का इस्तेमाल करना मत भूलना क्योकि हर फ्लाई ऐश ईंट के अंदर PPC सीमेंट नहीं होता है।

क्या है की कमिया

लाल ईंट

  • मिट्टी के इस्तेमाल से बनती है, और इसे पकाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयला भी जलाया जाता है। इसको बनाने की प्रक्रिया पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है।
  • एक आकार(साइज) की मिलनी मुश्किल है।
  • इसकी सतह समतल नहीं होती।
  • उत्पादन की क्वालिटी पे काबू रखना मुश्किल होता है, जैसे कुछ ईंट कच्ची तो कुछ ईंट ज्यादा पकी निकलना साधारण बात है।
  • इसको बनाने में लागत ज्यादा लगती है इसलिए महंगी मिलती है।

फ्लाई ऐश ईंट

  • अगर इसको बनाने के वाले मसाले में गड़बड़ कर दी जाए या हो जाए तो ये कमजोर हो सकती है।
  • बनाते समय घटिया क्वालिटी का सीमेंट ईंटो के लिए ही नहीं ईमारत के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
  • ज्यादा बड़ी साइज की ईंटो में टूटने और दरार की समस्या आम है। छोटी ईंटो में ऐसी दिक्कत नहीं है।
  • हर जगह आसानी से उपलब्ध नहीं है।

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