लेंटर कैसे डाले | Slab Casting in Hindi

घर बनाने में सबसे बड़ा सवाल ये होता है कि “लेंटर कैसे डाले | Slab Kaise Dale | Slab Casting

एक बात पढ़ने से पहले समझ ले, अगर आपको अच्छा लेंटर डलवाना है, तो इस पोस्ट में लिखी, छोटी सी बात भी बहुत जरुरी है, इसलिए किसी भी सलाह को हल्के में ना ले, हर बात जरुरी है इसलिए ध्यान से पढ़े, आपको इस पेज पे बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। इस पेज में हमने अपने 15 सालो का निचोड़ लिखा है। जो आपको कही नहीं मिल सकता, तो इसके लिए हमने बहुत मेहनत से ये पोस्ट लिखा है, और ये थोड़ा बड़ा भी है, मगर इसको थोड़ा बड़ा लिखने और मेहनत करने की एक वजह भी है। वो ये है की अगर आपके घर की छत, सही से पड़ जाये तो आपकी घर बनाने से जुडी सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जायेगा। इसलिए पढ़ने के बाद हमें शेयर करना ना भूले। आप इस पोस्ट को पूरा और ध्यान से पढ़ना, और जो आप सीखे उसे छत की ढलाई में इस्तेमाल करना और दोस्तों में परिवार में हमारे बारे में शेयर जरूर करना।

इस पढ़ने के बाद आप हमारी एक पोस्ट को जरूर पढ़े
छत डालने से पहले रखना ध्यान नहीं तो होगा नुकशान

चलिए अब Main बात पे आते है, लेंटर डालने के कुछ स्टेप होते है जैसे

शटरिंग (Shuttering) –> सरिया बधवाना (Bar Reinforcement) –> प्लम्बर का काम (Plumbing Work) –> बिजली का काम (Electrical work) –> कंक्रीट बनाना और डालना (Concreat Mixing & Casting)

हम ये नहीं कहेंगे, की ये बहुत जरुरी स्टेप है या वो स्टेप क्योकि अगर आपको अच्छा लेंटर डलवाना है तो हर छोटी सी बात भी बहुत जरुरी है, इसलिए किसी भी सलाह को हल्के में ना ले हर बात जरुरी है।


Page Contents

शटरिंग का काम (Shuttring Work)

लेंटर डालने का सबसे पहला स्टेप यहाँ से शुरू होता है,

घर की छत बनाने के लिए ज्यादातर तीन तरह की शटरिंग(Shuttring) का इस्तेमाल होता है।

  • लकड़ी के फट्टे (Timber Shuttering)
  • प्लाईवुड (Plywood Shuttering)
  • लोहे के फर्मे (Steel Frame Shuttering)

ध्यान रखने वाली बात, शटरिंग करवाते समय

  • सबसे पहले हमें ध्यान रखना है की, जिन बल्लियों का इस्तेमाल, हम शटरिंग करने के लिए कर रहे है, वो सारी लगभग एक जैसी लम्बाई की हो। क्योकि अगर बल्ली ज्यादा छोटी होती तो, इसको रोकने और सही साइज का बनाने के लिए इसके नीचे कई ईंट लगनी पड़ेंगी, और शटरिंग की बल्ली में 1 ईंट से ज्यादा नहीं लगनी चाहिए। क्योंकि देखा गया है की जब लेंटर डाला जाता है, तो वजन के पड़ने से दो तीन ईंटे होने की वजह से ईंटे खिसक जाती है और बल्ली सरक जाती है, और प्लाई में लचक बन जाती है। जिससे ठेकेदार का तो कोई नुकशान नहीं होता है, मगर मालिक का होता है। ठेकेदार इस गलती हो, जब वो प्लास्टर करेगा तो उसमे छुपा के देते है। मगर जो लेंटर घूम जायेगा, उसमे वजन उठाने की ताकत कम हो जाती है।
  • दूसरी बात ये है, शटरिंग के इस्तेमाल के लिए होने के लिए आई, प्लाई ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए और प्लाई कही से भी टूटी या उखड़ी नहीं होनी चाहिए, ज्यादा पुरानी लगने पे इसका इस्तेमाल ना करवाए। ये बात, आप ठेकेदार से पहले ही कर ले ताकि आपको दिक्कत न हो।
  • शटरिंग होने के बाद हमें, एक बार फिर से (अपने हिसाब से भी) ढलान, लाइन, चेक करवा लेनी चाहिए, क्योकि छत ढलने के बाद उसमे कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। दोबारा चेक करने में 10 मिनट से ज्यादा नहीं लगते।
  • उसके बाद, हमें अपना ध्यान, शटरिंग प्लेट या लकड़ी के साफ़ सफाई की देनी चाहिए, अगर हो सके तो उसे पानी से अच्छे से धुलवा दे, और उसे जल्दी सुखाने के लिए आप ब्लोअर(Blower) का इस्तेमाल कर सकते है।
  • साफ़ सफाई होने के बाद, फिर हमें अपना ध्यान, शटरिंग प्लेट या लकड़ी के तख्तों पे देना चाहिए, कही भी इनके बीच में आधे इंच से ज्यादा दुरी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो जब कंक्रीट डाला जायेगा, कंक्रीट नीचे गिरेगा और कंक्रीट से पानी भी निकल जायेगा। ऐसी समस्या से बचने के लिए दो शटरिंग प्लेट या लकड़ी के तख्तों के बीच में टेप लगाई जाती है, जिसे शटरिंग टेप कहते है और ये 3″ चौड़ी होती है। अच्छा लेंटर डालने वाले, ये टेप पूरी छत में लगते है, क्योकि ये मार्किट में केवल 15 rs की एक पड़ती है, और 10 से ज्यादा बहुत साइट पे लगती है।
  • अगर आप लोहे की शटरिंग लगवा रहे है, तो लेंटर डालने से 1 घंटा पहले ये चेक कर ले कि ये बहुत गर्म तो नहीं है, अगर ये है, तो इसके ऊपर पानी का छिड़काव करवा दे। ताकि यह ठंडा हो जाए।

ये वो बाते थी, जो छत डालने से पहले शटरिंग को लेकर ध्यान रखनी थी मगर, अब आपको वो बाते बताते है जो छत डलवाते समय शटरिंग को लेकर ध्यान रखनी है।

  • लेंटर डालते समय, शटरिंग के नीचे लगी बल्लियों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है, की कही कोई बल्ली फिसल न जाए। इसलिए हर 15 मिनट में बिल्लियों को चेक करना चाहिए।

लेंटर डालने के बाद

  • शटरिंग खोलने की जल्दीबाजी न करे शटरिंग को तब ही खोले जब 70% तक लेंटर सुख जाए इसमें गर्मी के दिनों में कम से कम 15 दिन लगते है।

सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement)

सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) का काम भी आपको चेक करने आना चाहिए।

लोहा बंधाई के लिए अलग से लेबर आती है, जो आपकी दिए हुए नक़्शे के हिसाब से लोहा बांधती है। और जो सरिये आप खरीद के लाते है, वे उसका ही इस्तेमाल करती है, तो इसके लिए आपको हमेशा अच्छी क्वालिटी के सरिये का इस्तेमाल करना चाहिए। हल्का या पतला, जंग लगा हुआ, नकली, बिना नामी कंपनी का, सरिया ना खरीदे। सरिया हमेशा अच्छी कंपनी का ही खरीदे, जैसे टाटा स्टील या कोई भी, लोकल सरिया को कबाड़ से गला के बनाया जाता है। जो ज्यादा दिनों तक नहीं चलता है। हमें कंपनी का नाम बताने के पैसे नहीं मिले है, बाकी आपकी समझदारी।

छत के लिए सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) में दो चीजे आती है बीम(Beam) और छत(Slab) दोनों का ध्यान रखना होता है।

ध्यान रखने वाली बात, सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) में

सरिया बंध जाने के बाद आपको कुछ बातों पे ध्यान देना है जैसे

  • सरिये को अच्छे तरीके से बाइंडिंग वायर(ये भी अच्छी कंपनी की होनी चाहिए) से बांधा गया है या नहीं। घूम के ये चेक कर सकते है की कही कोई सरिया ढीला तो नहीं है। सरिये को बीच में जोड़ा तो नहीं गया है। अगर सरिये को बाइंडिंग वायर से मजबूती से बांधा जाता है, तो भविष्य में भूकंप में भी घर मजबूती से टिका रहता है।
  • कॉलम और बीम के रिंगों के एल पूरे अंदर तक मोड़े जाने चाहिए। भूकंप की स्थिति में पूरी तरह मुड़े हुए रिंगों के एल और कॉलम और बीमों को बहुत मजबूती से कसकर जकड़े रखते हैं।
  • कॉलम या बीम में कम से कम 8 mm के रिंग होने चाहिए।
  • सरिये के जाल, को शटरिंग से उठाने के लिए कवरब्लॉक लगाने चाहिए। जिसकी मोटाई कम से कम 25 mm होनी चाहिए। ऐसा करने से कंक्रीट सरिये के ऊपर और नीचे अच्छी तरह से डलता है। और कंक्रीट सरिये को नमी वाली हवा और सीलन से बचाती है। (Cover Block के लिए आखिरी में दिए हुए Faq को जरूर देखे)
  • सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) को किसी इंजीनियर की निगरानी में बंधवाया जाए या चेक करवाया जाए तो इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता।
  • सरियो की बंध जाने के बाद आप किसी से लटक बीम और हिडन बीम (Hidden Beam) की पहचान जरूर कर ले, क्योकि आपको ये ध्यान रखना है, की कोई भी ना तो प्लम्बर ना तो इलेक्ट्रीशियन हिडन बीम से कोई पाइप, फैन बॉक्स या लाइट का पॉइंट ना दे।

बिजली का काम (Electrical work)

जिस दिन सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) ख़त्म होगी या, उसी दिन बिजली वाले(Electrician) को जरूर बुला ले, वो लेंटर डालने से पहले ही, तार डालने के लिये पाइप, फ़ैन बॉक्स, लाइट के लिए कंसील्ड बॉक्स लगा ले।

ध्यान रखने वाली बाते

  • लेंटर के लिए हमेशा मजबूत कन्डुइट पाइप (Conduit Pipe) ही खरीदनी चाहिए। क्योकि लेंटर के समय गलती से किसी का पैर पड़ने पर भी वो जल्दी से न पिचके।
  • बिजली का काम होते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि, जो भी काम हो रहा है, उसे सही नाप के साथ ही किया जा रहा है, कई बार यह काम इलेक्ट्रीशियन अंदाजे से करने लगता है अपना समय बचाने के लिए, मगर उसका ऐसा करना आप को बाद में भारी पड़ सकता है।
  • जहा पे भी जोड़ हो वह पे अच्छे तरीके से टेप लगी होनी चाहिए नहीं तो जब पाइप के ऊपर कंक्रीट डाली जाती है तो उन जोड़ में से कंक्रीट का पानी धीरे धीरे लीक करता है और अंदर जा के जम जाता है जिसकी वजह से बाद तार डालने में काफी दिक्कत आती है। अगर इलेक्ट्रीशियन ने जोड़ पे टेप नहीं लगवाई हो तो उससे लगवाए
  • अगर पाइप ऊपर निकाल के छोड़नी पड़ रही है, तो उस पाइप के अंत में बैंड लगाकर वहां पर टेप लगा होनी चाहिए। जिससे उसके अंदर गंदगी ना जा सके।
  • कंसील्ड बॉक्स और फैन बॉक्स के अंदर अखबार के टुकड़े भरे हुए होने चाहिए, और उसके नीचे मोटा कागज या अखबार बिछा हुआ होना चाहिए, जिससे कि उसके अंदर कंकरीट ना जाए, और ना ही उसे बाद में ढूंढने में दिक्कत हो।
  • कमरों के अंदर डाले हुए बैंड, बिना झिरी काटे नहीं डाले हुए होने चाहिए। कई बार इलेक्ट्रीशियन जल्दीबाजी में बिना झिरी काटे ही बैंड को डाल देते हैं।
  • हर कमरे की चारों दीवारों पर बैंड डाले हुए होने चाहिए, जिसे बाद में कमरे में कहीं पर भी अगर आपको बिजली का पॉइंट चाहिए तो आपको दिक्कत ना आए।
  • अगर आपकी घर या साइट 100 गज से बड़ी है मेन(Main) एमसीबी बॉक्स(MCB Box) के लिए 1.5 या 2 इंची पाइप का इस्तेमाल होना चाहिए।

कंक्रीट डालते समय ध्यान रखने वाली बात

  • जब कंक्रीट को डालना शुरू करवाएं तो सबसे पहले कंसील्ड बॉक्स और फैन बॉक्स पर थोड़ा सा कंक्रीट धीरे से डलवाए ताकि वह सुरक्षित रहें।

* * लेंटर वाले दिन से पहले उसके सारे काम ख़त्म कर लेगा चाहे वो कितना भी छोटा काम क्यों न हो, वो लेंटर वाले दिन कोई काम नहीं करेगा बस अपनी पाइप का ध्यान रखेगा। कोई उसे दबा न दे या वो सरिये से कही निकल न जाए।


प्लंबिंग का काम (Plumbing Work)

जिस दिन सरियो की बंधाई (Bar Reinforcement) ख़त्म होगी या, उसी दिन प्लम्बर को जरूर बुला ले, वो अपनी पानी की पाइप, बारिश के पानी की पाइप(Rain Pipe), गंदे पानी की नाली के लिए पाइप के लिए निशान बना देगा या वह पे जगह बना देगा। अगर वो नहीं आता तो किसी और को बुला ले, और उसे हटा भी सकते है, लेंटर डालने के क्योकि घर बनाने में छत डालने से जरुरी कोई काम नहीं होता है। बाद में आके अगर वो आपके सरिये काटे तो उसका कोई फायदा नहीं है।

ध्यान रखने वाली बाते

  • ड्राइंग और जरुरत के हिसाब से पानी की पाइप, बारिश के पानी की पाइप(Rain Pipe), गंदे पानी की नाली के लिए पाइप के लिए निशान बना देगा या वह पे जगह बना देगा।
  • लेंटर डालने के बाद इसमें किसी भी तरह की कोई तोड़ फोड़ नहीं कर सकते है।

* * लेंटर वाले दिन से पहले उसके सारे काम ख़त्म कर लेगा चाहे वो कितना भी छोटा काम क्यों न हो, वो लेंटर वाले दिन कोई काम नहीं करेगा बस अपनी पाइप का ध्यान रखेगा। कोई उसे दबा न दे या वो कही से निकल न जाए।


कंक्रीट को मिलाना और उसको ढालना (Concreat Mixing & Casting)

**ठेकेदार कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसके पास कितने भी आदमी क्यों न हो,छत डालने से दो दिन पहले से छोटी मोठे कामो के लिए, आप कम से कम एक आदमी को रखे, वो केवल वही काम करेगा, जो आप कहेंगे, उसके अलावा वो कोई काम नहीं करेगा। (छत डालते समय बहुत चीजे ध्यान रखनी पड़ती है, छत आपकी है तो आपकी भी जिम्मेदारी बनती है,

अगर ठेकेदार से कुछ भूल हो जाती है, तो वो भी वो उसे छुपाने का हुनर जाने के बाद ही ठेकेदार बना है, छुपाने से गलतिया ठीक नहीं हो जाती)

एक दिन के एक लेबर 600 से ज्यादा नहीं लेते है। छत डालते समय 600 की कीमत कुछ नहीं होती है। छत डालते समय हुई एक छोटी गलती भी 600 से ज्यादा की पड़ती है।

लेंटर डालने से 1 दिन पहले

लेंटर डालने से 1 दिन पहले ही कुछ तैयारी कर लेनी चाहिए, जिससे लेंटर डलवाते समय, आप को दिक्कतों ना आये।

  • जिस भी सामान की आपको जरूरत है, वह सारा सामान आपके पास पहले ही रखा हुआ होना चाहिए, जैसे सीमेंट, रोड़ी, और बदरपुर। कोई भी सामान कम नहीं होना चाहिए, इसके लिए आप पहले से ही पता कर ले, कि किस सामान की कितनी जरूरत पड़ेगी, सामान अगर ज्यादा होगा तो चलेगा कम होगा तो नहीं चलेगा। लेंटर को बीच में रोकना या लेंटर डालने में देरी करना दोनों ही सही नहीं है।
  • अगर आप लेंटर डालने के लिए मशीन का इस्तेमाल करने वाले हैं तो वह मशीन एक दिन पहले ही फिट हो जानी चाहिए। ऐसा करने से लेंटर डालने का काम भी आराम से होगा कोई जल्दीबाजी नहीं होगी
  • लेंटर के लिए आप कैसे भी मसाला बनवा रहे हैं, चाहे हाथ से या मशीन से, मगर वाइब्रेटर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है, दो तरह के वाइब्रेटर आते हैं, एक बीम के लिए, और दूसरा स्लैब के लिए, दोनों ही बहुत जरूरी होते हैं। लेंटर में दोनों का इस्तेमाल करना चाहिए। वाइब्रेटर के इस्तेमाल करने से कंक्रीट एक जैसी फैलती है, उसके अंदर से हवा के बुलबुले और ज्यादा पानी दोनों ही बाहर निकल जाते हैं। जिसकी वजह से कंक्रीट की मजबूती बढ़ जाती है।
  • कंक्रीट कि मिक्सिंग रेशियो कितना होगा, आसान भाषा में इसमें क्या चीज कितनी मात्रा में मिलाई जाएगी (जैसे सीमेंट, रोड़ी, बदरपुर), ये आप पहले ही तय कर ले, इसके लिए आप इंजीनियर की सलाह भी ले सकते हैं।
  • अगर आपको कंक्रीट में वाटर प्रूफिंग केमिकल डलवाना है, तो भी आप एक दिन पहले ही तय कर ले, ताकि जब कंक्रीट बनाया जाए, तब वाटर प्रूफिंग केमिकल डाला जा सके।

लेंटर वाले दिन ध्यान रखने वाली बातें

  • इस दिन इलेक्ट्रिशियन और प्लंबर का काम केवल यह चेक करना है कि कंक्रीट डालने के दौरान, कहीं कोई पाइप टूटी, या दबी तो नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो वह हाथों हाथ इसे ठीक करें।
  • सबसे जरुरी बात कंक्रीट मिलाने के लिए केवल पीने वाले पानी का ही इस्तेमाल करें।
  • मसाले की मिक्सिंग पर आपको खास ध्यान देना है, हो सके तो घर का कोई समझदार आदमी, ध्यान रखने के लिए अलग से अपने साथ रखे जिसका काम केवल देखना होगा।उसे पहले ही समझा दे, कितनी मात्रा में क्या चीज मिलायी जाएगी। और इसी समय डालता है वाटरप्रूफिंग करने का केमिकल अगर आपको वो भी डलवाना है, तो वो भी इसी समय डालेगा। की कंक्रीट को सही से मिलाया जा रहा है या नहीं, अगर मशीन से मसाले को मिलाया जा रहा है तो कम से कम 10 मिनट तक मिलाना चाहिए।
  • कई लोग या ठेकेदार छत पे कंक्रीट डालने से पहले तेल, पानी, सीमेंट का घोल, या सुखी रेत को फैलवा देते है, आइये बताते है वो ऐसा क्यों करते है।
    तेल – तेल का इस्तेमाल इस लिए करते है ताकि शटरिंग को निकलते समय ये आसानी से और साफ़ तरीके से निकल जाए इसके लिए वे लोग जले हुए मोबिल आयल (Mobil Oil) का इस्तेमाल करते है। क्योकि वो सस्ता होने के साथ गाढ़ा भी होता है।
    पानी – पानी के छिड़काव से कंक्रीट के पानी को शटरिंग पीती नहीं है, और बड़ी आसानी से कंक्रीट को फैलाया जा सकता है।
    सीमेंट के घोल – को इसलिए डाला जाता है ताकि सीमेंट की पकड़ अच्छी हो जाये और फ़ैलाने में भी दिक्कत न हो।
    सुखी रेत – रेत को अच्छे से फैला देने से नीचे से छत पे प्लास्टर करना आसान हो जाता है। ऐसा करने से पकड़ अच्छी बनती है।
  • कंक्रीट डालना शुरु करने के साथ उसे साथ के साथ फैलाते भी रहना चाहिये, वरना कंक्रीट सेट हो लगता है और उसे फैलाना मुश्किल हो जाता है।
  • वाइब्रेटर(Vibrator) का इस्तेमाल जरूर और अच्छे से किया जाना चाहिए।
  • मसाला एक जैसी मोटाई में ही डालना चाहिए।
  • कंक्रीट की फिनिशिंग करवाते समय आपको, मिस्त्री को ढलान देने के लिए याद करते रहना चाहिए।
  • अगर मौसम गर्म है तो, कंक्रीट डालने के डेढ़ से दो घंटे बाद, कंक्रीट को ऊपर दोबारा से फिनिशिंग करवाए ऐसा करने से कंक्रीट में दरारें नहीं बनती हैं।

सीमेंट की सेटिंग (Cement Curing)

अगले दिन की सुबह से ही इसकी तराई शुरू कर देनी चाहिए, कम से कम लगातार 10 दिन तक करना चाहिए
तराई के बारे में ज्यादा जाने के लिए पढ़े

तराई की जरुरत क्यों होती है ?

15 से 20 दिन बाद आप इसकी सारी शटरिंग खोल सकते है।


जरुरी सवाल और उनके जवाब

कंक्रीट में वाइब्रेटर क्यों लगाना चाहिए?

वाइब्रेटर का इस्तेमाल करने से कंक्रीट के अंदर बने हवा के छोटे छोटे बुलबुले बाहर निकल जाते है और साथ ही साथ कंक्रीट में अगर ज्यादा मात्रा में पानी हो तो भी वाइब्रेटर की मदद से ज्यादा पानी निकल जाता है और कंक्रीट आपस में अच्छी पकड़ बना लेता है। वाइब्रेटर का इस्तेमाल करने से कंक्रीट को पूरी ताकत मिलेगी।

लेंटर के लिए सबसे best सीमेंट कौन सा है?

लेंटर के लिए PPC सीमेंट सबसे अच्छा रहता है, इसे हर कंपनी बनती है, और ज्यादातर लोग PPC सीमेंट ही खरीदते है लेंटर डालने के लिए।

कम शब्दों में ज्यादा समझना है तो आप ये समझ लें,
लेंटर(Slab), बीम(Beam) और कॉलम(Column) के लिए PPC सीमेंट अच्छा है, और
प्लास्टर(Plaster) और ईंट की जुड़ाई(Brick Work) के लिए OPC Cement अच्छा है।

दोनों में थोड़ा फर्क होता है वो भी आपको बता देते है

OPC सीमेंट (साधारण पोर्टलैंड सीमेंट) – ओपीसी सीमेंट वह सीमेंट होता है जिसमे फ्लाई ऐश 5 से 7% तक होती है।
PPC सीमेंट (पॉज़ोलाना पोर्टलैंड सीमेंट) – पीपीसी सीमेंट वह सीमेंट है जिसमें फ्लाई ऐश 15 से 35% तक होती है।

स्लैब में कंक्रीट का अनुपात क्या होना चाहिए?

घर के स्लैब में कंक्रीट को दो तरह के अनुपातों में डाला जाता है

जो ठेकेदारों के हिसाब से कंक्रीट का अनुपात आमतौर पर 1:2:3 होता है। जिसमे 1 सीमेंट, 2 रेत, 3 बजरी होती है। कंक्रीट का यह अनुपात 90% घरेलू लेन्टरों में इस्तेमाल किया जाता है। क्योकि भारत में लोग सबसे ज्यादा घर इंजीनियर नहीं, ठेकेदार से बनवाते है।

इंजीनियर के हिसाब से कंक्रीट बनाना चाहते हैं, तो हम 1:1.5:3 का इस्तेमाल करेंगे। जिसमे 1 सीमेंट, 1.5 रेत, 3 बजरी होती है इस अनुपात से बने कंक्रीट को ही M20 या मिक्स 20 कंक्रीट भी कहा जाता है। 

छत डालते समय, एक बोरी सीमेंट के मसाले, लिए कितना पानी डालना चाहिए?

छत डालते समय, एक बोरी सीमेंट के मसाले के लिए कम से कम 25 से 27 लीटर पानी डालना चाहिए, इससे कम पानी डालने पे ये टाइट हो जायेगा और बीम के कोनों में ठीक से नहीं जायेगा, और इससे ज्यादा पानी होने पे ये जल्दी से आकार नहीं लेगा, और हो सकता है, ये बहने भी लगे।

सीमेंट मिलाने के बाद, कितने देर में कंक्रीट का इस्तेमाल कर लेना चाहिए?

PPC सीमेंट है तो – सीमेंट को अच्छे तरीके से मिलाने के बाद 60 मिनट के अंदर एक घंटे के अंदर
OPC सीमेंट है तो – सीमेंट को अच्छे तरीके से मिलाने के बाद 120 मिनट यानि डेढ़ घंटे के अंदर

वैसे तो इसके दुगने समय के तक भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है मगर उसमे वो मजबूती नहीं आएगी जो की होनी चाहिए, इसलिए अगर आप छोटा मोटा काम है तो कोई बात नहीं, मगर अगर आपको मजबूती चाहिए तो समय का ध्यान रखना चाहिए।

कौन सी कंपनी का सीमेंट अच्छा होता है?

हम यहाँ किसी कंपनी का नाम तो नहीं बता सकते है, क्योकि फिर आपमें से ही कोई कहेगा की हमने कंपनी वालो से पैसे लिए है, मगर आपको एक अच्छा तरीका बता देते है जिससे आपकी इस समस्या का समाधान हो जायेगा।

जो भी दो चार कंपनी का नाम आपको पसंद है उनके दुकानदार से, उनके भेजे हुए इंजीनियर, टेक्निकल इंजीनियर या आप सीधा ही कंपनी से मेल या फ़ोन करके आप सीमेंट टेस्ट(Cement Test) के सर्टिफिकेट(Certificate) मांग सकते है और ये उनको दिखाना ही पड़ता है। वे आपको दिखने से मना नहीं कर सकते है।

जब आपके पास सबके सर्टिफिकेट आ जाए तो उससे आसानी से पता लग जायेगा की कौन सा सीमेंट सबसे मजबूत और सबसे बेहतर है।

अगर अच्छा लगा हमारा जवाब तो शेयर तो कर ही देना दोस्तों में…

लेंटर और छज्जे(Parapet) के बीच दरार आने से कैसे रोके?

छज्जे(Parapet) को लेंटर से थोड़ा पीछे करके बनाना चाहिए।(1 से 2 इंच)

क्या कवर ब्लॉक लगाना ज़रूरी हैं?

हाँ कवर ब्लॉक लगाना बहुत जरुरी है, क्योकि इस्तेमाल कवर ब्लॉक का इस्तेमाल सरियो के जाल और शटरिंग के बीच दुरी बनाना होता है। कवर ब्लॉक की वजह से लोहे का सरिया लेंटर के अंदर चला जाता है और इससे आप सरियों को लम्बे समय तक मौसम एवं जंग से बचा सकते है।

कई बार लोग कवर ब्लॉक की जगह मार्बल या ईट के टुकडे का इस्तेमाल करते है। आप ऐसा कर सकते है अगर आप ज्यादा बड़ी ईमारत नहीं बना रहे है, अगर आप बड़ी ईमारत बनवा रहे है, तो आपको कवर ब्लॉक का इस्तेमाल करना ही चाहिए। क्योकि कवर ब्लॉक एक जैसी ऊंचाई से जाल को शटरिंग से उठा सकते है, जबकि मार्बल या ईट के टुकडे के इस्तेमाल करके आप एक जैसी ऊंचाई को हासिल नहीं कर सकते है।

**अगर आप कवर ब्लॉक का इस्तेमाल कर रहे है कवर ब्लॉक आपको M-35 प्लस होनी चाहिए ताकि कवर ब्लॉक टूटे नही।
कवर ब्लॉक Aggregate IS Code 456-2000 होना चाहिए और इसका साइज
– स्लैब के लिए – 20 mm
– बीम के लिए – 26 mm
– कोलम के लिए – 40 mm (L-Shape)
– राफ्ट फाउंडेशन के लिए – 40.60/60 mm होना चाहिए।

Hidden Beam | concealed Beam क्या होती है।

इसका इस्तेमाल लटक बीम की जगह पे किया जाता है क्योकि ये बाहर से दिखती नहीं है और ये काफी मजबूती से छत को संभालती है। मगर इसको इस्तेमाल करने के लिए भी कुछ चीजें ध्यान रखनी पड़ती है।
– अगर आप छज्जा 3 फीट से ज्यादा निकाल रहे हैं तो आपको लटक बीम ही देना चाहिए।
– अगर कही पे 15 फीट से ऊपर कॉलम की लंबाई देनी पड़ रही है तो लटक बीम ही देना चाहिए।
ध्यान रखने वाली बात
हिडन बीम के अंदर लाइट के लिए (Conceled बॉक्स), Fan बॉक्स, बिजली की पाइप जैसी चीजे ना डालें।

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