प्रॉपर्टी बिलकुल ठीक है इसका पता कैसे लगाया जाये
मतलब वो किसी और को भी तो सेल(Sale) नहीं कर रखीं है
देखिये, ये बहुत ही ज्यादा संवेदनशील विषय है, क्योकि इसको समझने के लिए आपको, इस पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़ना पड़ेगा, अगर आप ध्यान नहीं देंगे तो, शायद आपको इस पोस्ट से आपको कुछ नहीं मिलेगा, और अगर आप इसे तब तक पढ़ेंगे जब तक ये समझ नहीं आता तो, पक्का आप यहाँ से कुछ सीख कर ही जायेंगे।
तो आइये हम बात करते है अपने टॉपिक पे की
प्रॉपर्टी बिलकुल ठीक है इसका पता कैसे लगाया जाये (मतलब वो किसी और को भी तो सेल नहीं कर रखीं है )
सबसे पहले आपको ये तो पता ही है प्रॉपर्टी दो तरह की होती है
1) रजिस्ट्री वाली
2) पावर ऑफ़ अटोर्नी वाली
दिक्कते तो दोनों तरह की प्रॉपर्टी में आती है हां ये अलग बात है की रजिस्ट्री वाली में कम और पावर ऑफ़ अटोर्नी वाली प्रॉपर्टी में ज्यादा दिक्कते आती है। दोनों तरह की प्रॉपर्टी को खरीदने में कुछ ख़ास बाते आपको ध्यान रखनी होती है जिससे आप बिलकुल निश्चिंत हो के पोर्पेर्टी को खरीद सके। चलिए अब समझते है
रजिस्ट्री वाली
कई लोग समझते है रजिस्ट्री वाली प्रॉपर्टी में कोई दिक्कत नहीं है, मगर आजकल काफी ऐसे केस आ रहे है, जिसमे रजिस्ट्री वाली प्रॉपर्टी में भी धोखाधड़ी हो रही है। हाँ ये बात जरूर है ऐसा करना आसान नहीं है, मगर आजकल लोग मिलजुल कर ऐसा कर रहे है, क्योकि रजिस्टरार के पास ये रजिस्ट्री करते समय ये अधिकार नहीं होता की, वो प्रॉपर्टी के पिछले पेपर चेक कर सके जिससे उसे ये पता नहीं चल पता की प्रॉपर्टी की चैन(Chain) कैसे चल रही है। प्रॉपर्टी की चैन एक ऐसा कागज होता है जिसपे ये साफ़ साफ़ लिखा होता है, सबसे पहले ये प्रॉपर्टी किसके पास थी, फिर किसने खरीदी, सीधी भाषा में प्रॉपर्टी को किसने और कब खरीदा।
हम ये मानते है, की हमारे देश का सिस्टम थोड़ा कमजोर है, मगर ये इतना भी आसान काम नहीं है, इसे ठीक करने का काम चल रहा है, थोड़ा वक़्त लगेगा और सब ठीक हो जायेगा। तब तक तो आपको समझदारी से काम लेना पड़ेगा। क्योकि अगर आपके साथ धोखा हो गया तो जो आपका नुकशान होगा वो तो होगा ही मगर आपको थाना, पुलिस और केस करने का भी दर्द न चाहते हुए भी लेना पड़ेगा।
सबसे पहले ये समझते है, की ये रजिस्ट्री की प्रकिरिया चलती कैसे है।
- बेचने वाला अपने सारे कागज को लेकर आता है, और रेवेनुए डिपार्टमेंट (हर राज्य का अपना रेवेनुए डिपार्टमेंट होता है) में, रजिस्ट्रार के पास जाते है।
- खरीद वाला स्टम्प पेपर(Stemp) खरीदता है, जिसपे Deed बनती है, उस Deed में प्रॉपर्टी चैन का सारा जिक्र रहता है।
- फिर खरीदने वाले को रजिस्ट्रार, रजिस्ट्री करने का समय देता है जिसे अपॉइंटमेंट भी बोलते है।
- फिर रजिस्ट्रार के सामने दोनों पक्षों को जाना होता है जिसमे दो गवाहों की भी जरुरत पड़ती है।
- फिर रजिस्ट्रार, दोनों पक्षों की फोटो खींच के Deed पे रजिस्ट्रशन नंबर प्रिंट कर देते है, और उसी को रजिस्ट्री कहते है
दिक्कत कहा आती है, जब आप की प्रॉपर्टी पे किसी और का कब्ज़ा होता है, और वो बेईमान होता है, एक बात और समझो आप की प्रॉपर्टी खरीदना का काम भरोसे से नहीं होता इसमें समझदारी का होना सबसे जरुरी है
बचने के तरीके
- प्रॉपर्टी सही हैं या नहीं ये देखने के लिए, सबसे पहले आप आसपड़ोस में पता करे, क्योकि पडोसी को पता होता है, प्रॉपर्टी में कोई दिक्कत है या नहीं।
- उसके बाद रजिस्ट्रार ऑफिस जाये, उस प्रॉपर्टी के खसरा नंबर से वह चेक कराये, की पिछली रजिस्ट्री (Last Registry) किसके नाम पर हुई है। जिससे आपको ये पता लग जायेगा की अभी प्रॉपर्टी किसके नाम पे है, और जिससे आप प्रॉपर्टी खरीद रहे है वो वही है न जिसके नाम पे प्रॉपर्टी है।
- नो एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई कर दे, उससे ये पता चल जाएगा की उसपे कोई लोन तो नहीं है।
- आखरी इंतकाल, के लिए भी अप्लाई कर दे, उससे ये पता लग जायेगा, की आखरी बार ये प्रॉपर्टी किसने खरीदी थी और ये किसके नाम पे रजिस्टर है।
उसके सर्टिफिकेट अप्लाई करके उसकी कॉपी निकलवाए, उसमे पीछे की पूरी डिटेल होती है की वो प्रॉपर्टी कितने लोगो ने खरीदी है, कब खरीदी है, उनका क्या नाम है, और उनका पता(Property Owner Address) क्या है, उससे आपको सब पता लग जायेगा।
पावर ऑफ़ अटोर्नी वाली
ये बहुत कमजोर क़ानूनी तरीका है, पावर ऑफ़ अटोर्नी मगर बहुत सारी ऐसी प्रॉपर्टी है, जो इसी कानून के अंतर्गत बिकती है क्योकि ये उन जगहों पे भी लागु होती है, जहा पे रजिस्ट्री नहीं होती है – इस पावर ऑफ़ अटोर्नी वाले तरीके में प्रॉपर्टी का मालिक आपको सिर्फ एक तरह का मालिकाना हक़ देता है, जिसे वो कभी भी रद्द कर सकता है, अगर वो अपनी बात से बदल गया तो वो आपसे कभी भी प्रॉपर्टी ले सकता है, अगर उसकी मृत्य हो जाती है, तो प्रॉपर्टी अपने आप उसके बच्चो के नाम हो जाती है, कानूनन उसपे आपका कोई हक़ नहीं रहता है, अगर उस प्रॉपर्टी पे आपका कब्ज़ा है, तो वो आपकी ही मानी जाएगी।
इससे बचने का एक ही मन्त्र है – पहले कब्ज़ा, फिर पूरा पैसा।
अगर आप इस मन्त्र को समझ गए तो बस आप दिक्कत में नहीं आओगे
इसके अलावा आप सारे कागजो को बड़े ही ध्यान से पढ़े, अगर कोई बात समझ नहीं आये तो, किसी से पढ़वा के समझे, इसमें भी एक बात ध्यान रखने वाली है कि वो व्यक्ति जो आपको पढ़ के समझा रहा है, वो आपका जानकर या कोई पेशेवर जैसी आपने इस काम के लिए रखा है।
सबसे जरुरी सलाह – चीज़ समझ आये तो ले नहीं तो दूसरी प्रॉपर्टी की तलाश करे।
हमारी सलाह ये है, सावधानी के लिए किसी वकील को या किसी ऐसे आदमी को साथ ले ले जो इस काम को अच्छे से जनता हो, तो बहुत अच्छा रहेगा
हमारी पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद !!!
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