लम्बे इंतज़ार के बाद अयोध्या में रामलला के विराजमान होने का समय आ गया है। 22 जनवरी को भगवान राम बालरूप में अपने नए मंदिर में विराजित होंगे।
70 एकड़ के इस कॉम्प्लेक्स को अध्यात्म, इतिहास और सुविधाओं के संगम के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे यहां आने पर श्रद्धालुओं को त्रेतायुगीन परंपराओं और भव्यता का अनुभव हो सके।
मंदिर को 2.70 एकड़ जमीन में तीन मंजिला मंदिर बनाया जा रहा है जो की, केवल एक हिस्सा ही है। पूरा धाम जिसे मंदिर परिसर या कॉम्प्लेक्स के नाम से जाना जायेगा, इसे पूरा होने में अभी एक साल से भी ज्यादा समय लग सकता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी 22 जनवरी को जिस गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे वह भूतल पर है। प्राण प्रतिष्ठा तक भूतल के ही कार्य को अंतिम रूप दिया जा सकेगा, जिस पर 160 खंभे या स्तंभ बने हैं।
मुख्य द्वार जिसे सिंहद्वार के नाम से जाना जायेगा, उसका भी काम लगभग पूरा हो चुका है। यहां अलग-अलग मुर्तिया लगाने का काम चल रहा है । सिंहद्वार के ही पास में दीपक जलने के लिए खम्भे जिसे दीप स्तंभ के नाम दिया गया है।
प्रथम तल जिस पर राम दरबार स्थापित होना है, उसका काम भी अंतिम चरण में हैं। साथ ही पांचों मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप,
सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप का भी काम ख़त्म होने वाला है।
मंदिर के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनायीं जा रही है जो की 732 मीटर है जिसको पूरा होने में अभी थोड़ा और समय लगेगा।
सनातन परंपरा में राम सामूहिकता व समरसता के भी आदर्श हैं। इसलिए, उनके मंदिर में भी इस भावना का प्रतिविंव दिखेगा। मंदिर के चारों ओर परकोटे पर छह मंदिर बन रहे हैं। साथ ही ऋषि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, ऋषि पत्नी अहिल्या के साथ मित्र निषादराज व माता शवरी के मंदिर भी स्थापित होंगे।
मंदिर कॉम्प्लेक्स में राम की परंपरा से जुड़े दूसरे सहयोगियों की धरोहरों को भी संरक्षित और विकसित किया जा रहा है। माना जाता है कि जब प्राचीन काल में यहां मंदिर था तो उसकी स्थापना के साथ चारों ओर भगवान राम के अभियान में सहयोग देने वाले पात्रों से जुड़े स्थान भी स्थापित किए गए थे।
किष्किंधा के राजकुमार अंगद के नाम पर स्थापित अंगद टीला और समुद्र पर पुल बनाकर लंका की राह सुगम बनाने वाले नल के नाम पर बना टीला भी कार्ययोजना का हिस्सा है। समृद्धि व धन के देवता कुबेर के टीले को भी संरक्षित किया जा चुका है। इस पर गिद्धराज जटायु की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। परिसर में स्थित सीताकूप को भी संरक्षित किया गया है। यह माना जाता है कि सीताकूप में सभी तीर्थों का जल समाहित है।
रामलला मंदिर की कुछ विशेष बिंदु
- समृद्धि व धन के देवता कुबेर के टीले पर गिद्धराज जटायु की प्रतिमा अलग ही शोभा बिखेर रही है।
- 48 एकड़ में होगी हरियाली, वाटिकाओं का नामकरण रामायण कल के पात्रों के नाम पर होंगे
- प्रवेश द्वार पर राम भक्त हनुमान की प्रतिमा स्थापित की गई है।
- 21 से 22 एकड़ में होगा राम मंदिर, प्लाजा, सुविधा केंद्र के साथ दूसरे निर्माण भी होंगे
- रामलला के मुख्य मंदिर के अलावा 13 और मंदिर बनेंगे
- 732 मीटर लंबा परकोटा यानी सुरक्षा दीवार
- 70 एकड़ में बन रहा मंदिर कॉम्प्लेक्स
- 2.70 एकड़ में बन रहा 3 मंजिला राम मंदिर
- 12 द्वार बने हैं, रामलला मंदिर में
- सुविधाओं के साथ अध्यात्म और इतिहास का होगा संगम
- राममंदिर संग वहां की प्राचीन धरोहरें और स्थल भी मंदिर कॉप्लेक्स का हिस्सा
पुराणों के हिसाब से करी गयी हरियाली
मंदिर कॉम्प्लेक्स के लगभग 48 एकड़ हिस्से में हरियली रहेगी, जिससे मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता निखर सके। इसके लिए पेड़ पौधे पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से लगाए जा रहे है। रामलला मंदिर के ट्रस्ट का लक्ष्य मंदिर में आने वाले लोगो को उस वातावरण का अहसास करवाना है, जिसका वर्णन अलग-अलग धर्मग्रंथों में किया गया है। परिसर में विकसित की जाने वाली वाटिकाओं का नामकरण भी रामायण कल के समय पात्रों के नाम पर होगा।
परिसर में जो पौधे लगाए जा रहे हैं, वे भी अलग- अलग नक्षत्रों और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार चुने गए हैं। मंदिर कॉप्लेक्स का एक बड़ा हिस्सा तीर्थयात्रियों की सुविधाओं लिए भी बनाया जा रहा है। इसमें दर्शनार्थी सुविधा केंद्र से लेकर बैठने की जगह, गेस्ट हाउस व अनुष्ठान क्षेत्र आदि शामिल हैं।
गर्भगृह में होंगी रामलला की मूर्ति और रामदरबार में सीता संग होंगे प्रभु श्री राम
परिसर में जिन प्राचीन मंदिरों को संरक्षित किया गया है, वो प्रभु श्री राम की जन्मस्थली है, इसलिए वहां उनकी पूजा उनके बालरूप में ही होती है। गर्भगृह में भगवान राम की प्रतिमा उनके बालरूप में स्थापित की जाएगी।
इसलिए, गर्भगृह में वह 5 वर्ष की आयु बालक के रूप में अकेले ही स्थापित किए जाएंगे। भूतल के ठीक ऊपर बने प्रथम तल पर गर्भगृह में रामदरबार बनेगा। यहां भगवान राम, माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ विराजेंगे। उनके चरणों में भक्त हनुमान भी सुशोभित होंगे।
मंदिर के काम्प्लेक्स में होंगे ये भी
श्रीराम कुंड
यहाँ यज्ञशाला का निर्माण हो रहा है। यज्ञ, आहुति सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपादित किए जाएंगे ।
कर्म क्षेत्र
कर्म क्षेत्र इसे अनुष्ठान मंडप का रूप गया है। यहां श्रद्धालु हिंदू संस्कारों व लोक परंपराओं के अनुसार जीवन से जुड़े विभिन्न संस्कार व कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे।
गुरु वशिष्ठ पीठिका
भगवान राम सहित चारों भाइयों को गुरु वशिष्ठ ने शास्त्रों की शिक्षा दी थी। इसलिए उनके नाम पर पीठिका भी स्थापित की जाएगी। इसे, वेद, पुराण, रामायण, संस्कृत और संस्कृति के अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
भक्ति टीला
मंदिर कांप्लेक्स में इस टीले को योग, अध्यात्म व प्रार्थना के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर श्रद्धालु प्रार्थना, ध्यान कर सकेंगे। लैंडस्केपिंग और हरित क्षेत्र के जरिए इसे भावपूर्ण व शांत
बनाया जाएगा।
प्रसाद मंडप
प्रसाद मंडप इसका नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर भरत प्रसाद मंडप रखा गया है। यहां पर प्रसाद, भोग, नैवेद्य आदि तैयार होंगे, जो रामलला के पूजन-अर्चन में उपयोग होंगे। भक्तों व श्रद्धालुओं के वितरण के लिए भी इसे तैयार किया जाएगा।
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